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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 29 
अनुपमा और सक्षम के की गवाही और हीरेन की दलीलों ने अदालत में मौजूद हर व्यक्ति का दिल जीत लिया था । हीरेन ने अपनी जासूसी के झण्डे गाड़ दिये थे । मीना को तो पहले से ही पता था कि हीरेन वह सूरज है जो अंधकार रूपी झूठ को छिन्न भिन्न कर देता है और चारों ओर सत्य का प्रकाश भर देता है । वह हीरेन की सफलता पर मुग्ध हो गई । उसके दिल में उस समय न जाने क्या क्या अरमान पल रहे थे लेकिन अदालत में होने के कारण वह अपने अरमानों को पूरा करने में असमर्थ थी । उसे मन मसोस कर शांत रहना पड़ा । वह बस अपने नेत्रों से ही प्रेम प्रदर्शन कर सकती थी । वह यह कार्य बखूबी कर रही थी । 

उसने एक गिलास पानी हीरेन को दिया जिसे वह एक ही सांस में पी गया । बहस करते करते भी कितनी प्यास लग आती है ना ? उसने एक गिलास पानी और भरकर दिया । पहला गिलास तो हीरेन बिना देखे ही चढ़ा गया था । जब गला कुछ तर हुआ तो उसने मीना की ओर देखा । उसके नेत्र सावन की झड़ी की तरह प्रेम झड़ी बरसा रहे थे । हीरेन ने भी मुस्कुराकर मीना को देखा तो वह निहाल हो गई । वह हीरेन को अपलक देखते रहना चाहती थी पर ऐसा संभव नहीं हो सकता था । वह कोर्ट रूम था कोई लैला का घर नहीं था जहां प्रेमकी पींगें हांकी जा सकें । 

सब लोगों की निगाहें हीरेन पर जमी हुई थीं और हीरेन की निगाहें मीना पर जमी हुई थीं । लोगों की निगाहें हीरेन से रिफ्लेक्ट होकर मीना की ओर जा रही थीं । उन दोनों की कैमेस्ट्री देखकर सबको पता चल गया था कि "इश्क का खेल" यहां भी खेला जा रहा है । वैसे देखा जाए तो यह एक ऐसा खेल है जिसे खेलने की तमन्ना हर किसी की होती है । जब दो चाहने वाले इस खेल को खेलें तो इससे बढकर और कोई खेल है ही नहीं । मगर समस्या तब आती है जब किसी को मजबूरी में यह खेल खेलना पड़े या किसी एक व्यक्ति को अपना पार्टनर बार बार बदलना पड़े । या फिर कोई एक व्यक्ति अपने पार्टनर के बजाय दूसरे के पार्टनर के साथ यह खेल खेलना चाहता हो । इस खेल में आंख और मुस्कान आक्रमण करने के काम आते हैं और धैर्य तथा संयम रक्षा करने के काम आते हैं । मीना दोनों काम एक साथ कर लेती थी । यही उसकी विशेषता थी जिस पर हीरेन लट्टू हो गया था । 

इतनी बहस करने के बाद खुद को तरोताजा करने के लिहाज से हीरेन की इच्छा शरबती पान खाने की हो आयी थी । उसने मीना की ओर देखा । मीना तो हीरेन की नजरों की पारखी थी । वह उसकी नजरें देखकर ही पता लगा लेती थी कि हीरेन के दिल में क्या चल रहा है ? उसने तुरंत पानदान खोला और एक शरबती पान निकाला । मीना ने शरबती पान हीरेन को पकड़ा दिया । हीरेन जैसे ही पान अपने मुंह में रखने वाला था कि अचानक उसने जज साहब की ओर देख लिया । जज साहब लालची निगाहों से उसे ही देख रहे थे । हीरेन को अपनी गलती का अहसास हो गया । उसने वह पान जज साहब को सौंपते हुए कहा "शरबती पान है सर, ठंडा ठंडा कूल कूल । मगजमारी करते करते दिमाग गर्म हो गया होगा न ? इससे ठंडा हो जाएगा और गला शर्बत की तरह तर हो जाएगा" । हीरेन की मुस्कुराहट में गजब की कशिश थी । 

जज साहब ने वह पान लेकर जैसे ही अपने मुंह में रखा तो उसकी तरावट से उनका पूरा दिमाग कूल हो गया । उनके मुंह से अनायास निकल गया "आ हा" । जज साहब की प्रतिक्रिया देखकर हीरेन गदगद हो गया । पान खाने वाले को जितना आनंद आता है , खिलाने वाले को उससे दूना आता है । उसके पान की धूम मच रही थी । वैसे पान तो छज्जू पनवाड़ी के थे पर मार्केटिंग तो हीरेन कर रहा था । इसलिए हीरेन को लगता था कि वे पान उसी ने बनाए हैं । 

शरबती पान का रस जब हीरेन के गले से नीचे उतरने लगा तो हीरेन के गले में भी जान आ गई । गला भी कह उठा "जीओ हीरेन भाई , तुमने मेरा ध्यान रखा, अब मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगा" । हीरेन बहस आगे बढ़ाते हुए कहने लगा । 

"योर ऑनर, सरकारी वकील साहब ने जो तथ्य अदालत के समक्ष रखे थे और जिस तरह बिना सबूतों के बहस की थी और बहुत सी मनोहर कहानियां सुना सुनाकर अदालत का कीमती समय बरबाद किया था । उन्होंने अनुपमा और अक्षत के चरित्र हनन का कुत्सित प्रयास किया था । अनुपमा , अक्षत और सक्षम को एक झूठे केस में फंसाने का पूरा षड्यंत्र कर लिया था।  मगर उनका यह झूठ का महल ज्यादा देर तक खड़ा नहीं रह सका और मेरे द्वारा प्रस्तुत सबूतों के समक्ष उसकी नींव टिक नहीं पाई और वह झूठ का महल भरभराकर गिर पड़ा । मैंने अदालत के समक्ष सबूत पेश करके यह सिद्ध कर दिया कि अनुपमा और सक्षम 31 मई को अपने मकान में थे ही नहीं तो उनके द्वारा कत्ल करने का सवाल ही नहीं उठता है । अब बात करते हैं अक्षत की । 

इस अदालत में अक्षत और अनुपमा की एक काल्पनिक प्रेम कहानी सुनाई गई थी । वह कहानी कितनी सही है, इसका अभी पता चल जाएगा । मैं अक्षत को विटनेस बॉक्स में बुलाने की इजाजत चाहता हूं, योर ऑनर" । हीरेन ने अदालत से प्रार्थना करते हुए कहा । 
"इजाजत है" । 

अक्षत को विटनेस बॉक्स में लाया गया । उसे भी गीता पर हाथ रखवाकर शपथ दिलवाई गई । हीरेन उससे पूछताछ करने लगा 
"आपका नाम" ? 
"अक्षत मलिक" 
"कहां रहते हैं" ? 
"मकान नंबर 104, कस्तूरबा लेन, नोएडा" 
"कब से रह रहे हैं यहां" ? 
"लगभग 1 साल से" 
"अनुपमा के साथ कब से चल रहा है तुम्हारा" ? 
"क्या" ? 
"यही , लारालप्पा और क्या ? तुम तो ऐसे भोले बन रहे हो जैसे कुछ जानते ही नहीं ? सरकारी वकील ने जो कहा था क्या वह सुना नहीं था तुमने" ? हीरेन ने थोड़ी तेज आवाज में कहा । 
"सुना था, सब सुना था । मगर वह सब झूठ है । झूठ के सिवाय कुछ भी नहीं है । अनुपमा मेरी भाभी हैं और भाभी के बारे में ऐसा सोचना भी पाप है जैसा सरकारी वकील साहब ने अपनी बहस में बताया था । आपको शायद पता नहीं है कि भारत में भाभी को मां का दर्जा प्राप्त है । मेरी समझ में नहीं आता है कि लोग देवर भाभी के रिश्ते को हमेशा संदेह की दृष्टि से क्यों देखते हैं ? मैं अनुपमा भाभी को मां के समान समझता हूं इसलिए ऐसे अनर्गल आरोपों पर मैं अफसोस प्रकट करने के अलावा और क्या कर सकता हूं" ? अक्षत के स्वर में आक्रोश था । उसके चेहरे पर कहीं कोई शिकन नहीं थी । उसे अपनी इज्ज़त से ज्यादा अनुपमा भाभी की इज्ज़त प्यारी थी । 

अक्षत की बातों से हीरेन प्रसन्न हो गया । वह उत्साहित होकर पूछने लगा 
"बहुत अच्छे  ! भाभी मां समान होती है । सही कह रहे हो । पर ये एल्बम तो कुछ और ही कह रहा है ? माई फ़र्स्ट लव । यही नाम है ना उस एल्बम का" ? 
"मुझे नहीं पता" । अक्षत ने सिर नीचा कर कहा 
"अरे वाह ! एल्बम बनाया आपने । मिला आपके कमरे से और आप कह रहे हैं कि आपको पता ही नहीं । वैसे , अच्छा मजाक कर लेते हैं आप" । व्यंग्य कसते हुए हीरेन ने कहा 
"मैं सच कह रहा हूं जज साहब, एल्बम के बारे में मैं कुछ भी नहीं जानता । मैं जब पेन्टिंग बनाना जानता ही नहीं तो एल्बम कैसे बनाऊंगा" ? अक्षत के स्वर में लाचारी की वेदना थी ।

अक्षत की बातों से पूरी अदालत में हंसी का फव्वारा छूट गया । एक मासूम सा दिखने वाला नौजवान अदालत में इस कदर सफेद झूठ बोलेगा , किसी को उम्मीद नहीं थी ।

"अच्छा मजाक कर लेते हैं अक्षत बाबू । पर ये ध्यान रखना कि ये अदालत है और यहां मजाक नहीं चलता है । कोर्ट का हथौड़ा जब पड़ता है तो अच्छों अच्छों की हवा खिसक जाती है । अब सही सही बताओ कि पेन्टिंग्स में आपने अनुपमा को "किस" करते हुए क्यों दिखाया जब आप उन्हें मां समान मानते हैं ? ये प्रेमी और मां दोनों का रिश्ता बनाये रखना कुछ जम नहीं रहा है । सबके सामने मां और अकेले में चुम्मा ! क्यों सही है ना" ? हीरेन फिल्मी डायलॉग झाड़ते हुए बोला 
"मैं अनुपमा भाभी को "किस" क्यों करूंगा ? कोई भी देवर अपनी मां समान भाभी को किस करता है क्या" ? अक्षत कह तो सही रहा था पर सरकारी वकील ने उसकी इमेज किसी "मजनूं" छाप आशिक की बना दी थी । 

अक्षत की बातें सुनकर सभी को बहुत आश्चर्य हुआ । उसकी बातों को सब लोग झूठ समझ रहे थे । हीरेन ने भी इसी आधार पर कह दिया 
"बाबू मोशाय, अब ये मत कह देना कि अनुपमा के अंगवस्त्र भी आपने अपनी वार्डरोब में नहीं रखे थे" ? 
अक्षत ने इस प्रश्न पर वास्तव में अनभिज्ञता प्रकट करते हुए कहा "कौन से अंगवस्त्र ? और मेरी वार्डरोब में ? ये क्या बकवास है" ? 
"ऐ बाबू मोशाय, ये अदालत है कोई थियेटर नहीं जो आप ऐसी सड़कछाप भाषा बोल रहे हो" ? 
हीरेन ने जज साहब से कहा "मी लॉर्ड ! जरा वो अंगवस्त्र दिखाने की इजाजत दे दें जिन्हें थानेदार मंगल सिंह ने जब्त किया था । एक बार उन्हें अक्षत को दिखाना होगा जिससे उन्हें वह पहचान सके" । हीरेन ने बालों में उंगली घुमाते हुए कहा । 

अदालत की आज्ञा से अनुपमा के अंगवस्त्र मालखाने से निकलवाये गये । पिंक कलर की ब्रा और ब्लैक कलर की पैंटी थी । सबसे पहले अदालत ने इन अंगवस्त्रों की तसदीक अनुपमा से कराई । अनुपमा ने अदालत में स्वीकार कर लिया कि ये अंगवस्त्र उसी के हैं । अब हीरेन ने अक्षत से पूछा 
"अनुपमा के ये अंगवस्त्र आपके कमरे से बरामद किये गये हैं । ये वस्त्र आपके कमरे में कैसे पहुंचे" ? 
"मुझे नहीं पता सर । मैं इनके बारे में कुछ भी नहीं जानता हूं । पर मैं इतना अवश्य जानता हूं कि इन्हें अपने कमरे में मैंने नहीं रखा । मैं तो ये भी नहीं जानता हूं के अंगवस्त्र भाभी के हैं । मैंने उनके किसी भी वस्त्र की ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया तो फिर अंगवस्त्रों की तो बात ही क्या है" ? 
"अच्छा, आप इनके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं और पेन्टिंग्स बनाना भी नहीं जानते हैं । तो फिर अनुपमा जी के जन्म दिन पर आपने उनकी पेन्टिंग कैसे बनाई जो उन्हें गिफ्ट में दी थी" ? 

अक्षत कुछ सोचने लगा । फिर बोला "मैंने भाभी के जन्म दिन पर उनकी पेन्टिंग गिफ्ट में दी थी ये सही है पर वह मैंने नहीं बनाई थी , मैंने उसे किसी से बनवाया था" । 
"किससे" ? 
"मेरे दोस्त अनुपम से । यदि आपको विश्वास नहीं हो तो आप उससे पूछ सकते हैं" । अक्षत पूर्ण विश्वास से बोला । उसके चेहरे से सच्चाई टपक रही थी । 
"क्या अनुपम यहां आया है" ? 
"जी" । 

हीरेन ने जज साहब से निवेदन किया कि अनुपम को गवाही के लिए बुलाया जाये । जज साहब ने अनुमति दे दी । अनुपम विटनेस बॉक्स में आकर गीता पर हाथ रखकर गवाही के लिए तैयार हो गया । 
"आपका नाम" 
"अनुपम चौधरी" 
"क्या अनुपमा जी की पेन्टिंग आपने बनाई थी" ? 
"जी हां, जो पेन्टिंग अक्षत ने अनुपमा भाभी को उनके जन्म दिन पर उपहार में दी थी, वह मैंने ही बनाई थी" । 
"आपने अनुपमा जी को कब देखा" ? 
"मैंने उन्हें आज इसी अदालत में देखा है । इससे पहले कभी नहीं देखा था" । अनुपम बड़ी सहजता से उत्तर दे रहा था । 
"फिर आपने उनकी पेन्टिंग कैसे बनाई" ? 
"अक्षत ने अपने मोबाइल से भाभी की फोटो लेकर मुझे भेज दी थी । उसी फोटो के आधार पर वह पेन्टिंग बना दी थी" । 
"फिर तो आपने अनुपमा का "माई फ़र्स्ट लव" एल्बम भी बनाया होगा" ? 
"कौन सा एल्बम ? मैंने कोई एल्बम नहीं बनाया" । 

हीरेन ने "माई फ़र्स्ट लव" एल्बम उठाया और उसे अनुपम को दिखाया और पूछा "ये पेन्टिंग्स आपने बनाई थीं" ? 
अनुपम अपनी आंखें बंद करते हुए बोला "छि: छि:, मैं ऐसी पेन्टिंग्स बनाऊंगा क्या भाभी की ? अनुपमा भाभी अक्षत की भाभी हैं तो मेरी भी भाभी हैं" । थोड़ा नाराज होते हुए अनुपम बोला । 

अक्षत और अनुपम के बयानों से अनुपमा को बहुत संतोष हुआ । उसके दिल को तसल्ली हो गई कि अक्षत के बारे में जो धारणा उसने बना ली थी वह गलत सिद्ध हो गई थी । वास्तव में अक्षत ने न तो पेन्टिंग्स बनाईं थीं और न ही उसके अंगवस्त्र ही उसने अपने कमरे में छुपाए थे । लेकिन यह भी सत्य है कि उसकी पेन्टिंग्स का एल्बम "माई फ़र्स्ट लव" और उसकी ब्रा और पैंटी अक्षत की वार्डरोब से उसके सामने ही बरामद हुए थे । बड़ी अजीब पहेली बन गई थी । अक्षत ने वे पेन्टिंग्स नहीं बनाई और न ही अनुपम ने बनाई, तो फिर किसने बनाईं थीं वे पेन्टिंग्स ? अक्षत का तो ये कहना है कि उसे तो पेन्टिंग्स बनाना आता ही नहीं तो फिर उसकी पेन्टिंग्स किसने बनाई थीं और वे अक्षत के कमरे में कैसे पहुंचीं ? पहेली तो सुलझने के बजाय और उलझती जा रही थी । 

शेष अगले अंक में 

श्री हरि 
21.6.23 

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8 Comments

Gunjan Kamal

24-Jun-2023 12:11 AM

👏👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Jun-2023 10:03 AM

🙏🙏

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Varsha_Upadhyay

23-Jun-2023 02:49 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

23-Jun-2023 08:55 PM

🙏🙏

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Punam verma

22-Jun-2023 09:02 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jun-2023 10:06 AM

🙏🙏

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